ज्येष्ठ मास की अमावस्या को मनाए जाने वाले वट सावित्री पूजा अथवा बरगद की पूजा में महिलाओं ने बरगद के पेड़ों पर धागा बांधकर पति की लंबी उम्र की कामना की।
वट सावित्री पूजा को लेकर पंडित विष्णु कांत शास्त्री ने बताया कि इस दिन सावित्री ने अपने पति सत्यवान के प्राण वापस लौटाने के लिए यमराज को भी विवश कर दिया था। बरगद के पेड़ के नीचे ही सावित्री ने अपने पति सत्यवान को पुनर्जीवित कराया था। तब से सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए वट सावित्री के दिन बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं। इस व्रत के दिन सत्यवान-सावित्री कथा को भी पढ़ा या सुना जाता है। नगर के मंदिरों व आसपास लगे बरगद के नीचे पहुंचकर महिलाओं ने वट सावित्री पूजा में धूप और घी का दीप जलाकर, लाल कलावा, सुहाग का समान, कच्चा सूत, चना आदि को बरगद पर चढ़कार उसके तने के चारों ओर 108 बार धागे को बांधकर पति की लंबी उम्र की कामना की।
BharatNews7.com Online News Portal